ख़यालों' के लिफाफों' में भी कोई ख़त' नहीं मिलता ,
मैं सबसे' रोज़ मिलता हूँ कोई' मुझसे नहीं मिलता.
ये चर्चे हैं वो' दुनिया में सभी के ज़ख्म सिलता' है,
न जाने क्यूँ मेरे' ज़ख्मों को कहकर भी नहीं 'सिलता.
सभी यह' जानते हैं और तुम' भी न रहे नादाँ,
जो रिश्ता एक तरफ़ा' हो तो ज़्यादा दिन' नहीं चलता.
***
उन्हें सुनने की आदत' थी सो अब आलम है यह यारों,
कोई कितना' भी सच बोले हमें सच्चा' नहीं लगता.
न कर कोशिश रिझाने' की तू अब मुझको मेरे साक़ी ,
जो लग जाये बुरा इक बार फिर' अच्छा नहीं लगता
हमारे दरम्याँ जब से खतों' का सिलसिला टूटा,
छुपा कर अब हमें लोगों से कुछ' रखना नहीं पड़ता.
ये चर्चे हैं वो' दुनिया में सभी के ज़ख्म सिलता' है,
न जाने क्यूँ मेरे' ज़ख्मों को कहकर भी नहीं 'सिलता.
सभी यह' जानते हैं और तुम' भी न रहे नादाँ,
जो रिश्ता एक तरफ़ा' हो तो ज़्यादा दिन' नहीं चलता.
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उन्हें सुनने की आदत' थी सो अब आलम है यह यारों,
कोई कितना' भी सच बोले हमें सच्चा' नहीं लगता.
न कर कोशिश रिझाने' की तू अब मुझको मेरे साक़ी ,
जो लग जाये बुरा इक बार फिर' अच्छा नहीं लगता
हमारे दरम्याँ जब से खतों' का सिलसिला टूटा,
छुपा कर अब हमें लोगों से कुछ' रखना नहीं पड़ता.
***
रहे जो उनकी' क़ुर्बत में तो उनसे इक हुनर' पाया,
जो दुःखता था जरा' सी बात पर दिल अब' नहीं दुःखता.
तुम्हें सब कुछ मयस्सर' है मग़र इक बात मत भूलो,
मुक़द्दर में वो सबकी एक सी' बातें नहीं लिखता.
यही सब ने कहा अब वह मेरी' ख़ातिर नहीं रोते,
किसी ने यह नहीं देखा वो अब खुलकर' नहीं हँसता.
***
कहूँ लोगों' को क्या अब मुझसे हर इक बात' मत पूछो ,
कभी सब साथ' चलतें हैं कभी कोई'नहीं चलता
मुसीबत सबपे आती है सभी का दिल तड़पता' है,
कोई' हमसे बताता है कोई' हमसे नहीं कहता.
जरा सा गौर' फ़रमाओ समझ तुमको भी आएगा ,
उन्हें क्यूँ इश्क़ के मसलों पे कुछ सुनते' नहीं बनता .
***
तेरे नैनों की नीरवता' यही शायद बताती' है ,
जो तुझमें' इक समन्दर' था वो तुझमें अब' नहीं बहता .
ये सच' सबको बता दो जो' भी उनको' चाँद कहते हैं ,
नज़र' तब तक नहीं आते वो' जब तक मैं नहीं 'ढलता .
ख़बर' मैंने सुनी है मेरे सर इल्ज़ाम' आया है,
लगाया भी तो उसने' जिसको झुठला मैं' नहीं सकता .
***
मेरी माँ' का सबक़ है यह मैं सबसे प्यार' करता हूँ ,
मगर इक' शख़्स है यारों मैं जिससे अब' नहीं करता,
गुज़ारिश है हमें' पढ़कर उन्हें' तुम दोष मत देना ,
वही' तो हैं वो' न होते तो मैं' कुछ क्यूँ यहाँ लिखता ,.?
… ख़यालों के लिफाफों में,.,मैं सबसे रोज़…
जो दुःखता था जरा' सी बात पर दिल अब' नहीं दुःखता.
तुम्हें सब कुछ मयस्सर' है मग़र इक बात मत भूलो,
मुक़द्दर में वो सबकी एक सी' बातें नहीं लिखता.
यही सब ने कहा अब वह मेरी' ख़ातिर नहीं रोते,
किसी ने यह नहीं देखा वो अब खुलकर' नहीं हँसता.
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कहूँ लोगों' को क्या अब मुझसे हर इक बात' मत पूछो ,
कभी सब साथ' चलतें हैं कभी कोई'नहीं चलता
मुसीबत सबपे आती है सभी का दिल तड़पता' है,
कोई' हमसे बताता है कोई' हमसे नहीं कहता.
जरा सा गौर' फ़रमाओ समझ तुमको भी आएगा ,
उन्हें क्यूँ इश्क़ के मसलों पे कुछ सुनते' नहीं बनता .
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तेरे नैनों की नीरवता' यही शायद बताती' है ,
जो तुझमें' इक समन्दर' था वो तुझमें अब' नहीं बहता .
ये सच' सबको बता दो जो' भी उनको' चाँद कहते हैं ,
नज़र' तब तक नहीं आते वो' जब तक मैं नहीं 'ढलता .
ख़बर' मैंने सुनी है मेरे सर इल्ज़ाम' आया है,
लगाया भी तो उसने' जिसको झुठला मैं' नहीं सकता .
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मेरी माँ' का सबक़ है यह मैं सबसे प्यार' करता हूँ ,
मगर इक' शख़्स है यारों मैं जिससे अब' नहीं करता,
गुज़ारिश है हमें' पढ़कर उन्हें' तुम दोष मत देना ,
वही' तो हैं वो' न होते तो मैं' कुछ क्यूँ यहाँ लिखता ,.?
… ख़यालों के लिफाफों में,.,मैं सबसे रोज़…