Wednesday 16 April 2014

..suno mujhe tum fir yaad aayi.!

सुनो  मुझे तुम फिर याद आयी  .,

शाम ढले इक चिट्ठी आयी .…

पता तुम्हें मालूम नहीं था,. 

फिर मुझ तक कैसे पहुँचायी ,,,सुनो मुझे तुम फिर याद आयी ..

खत में मेरा नाम लिखा है.,

साथ में ये पैगाम लिखा है…

 तुम भी मुझे भूल न पायी ,.

याद तुम्हें भी मेरी आयी .,

आगे तुम कुछ यूँ लिखती हो.,

तुम्हे पता है कब-कब आयी ???

जब-जब तुमने चाँद को देखा .,

जब भी तुमने शमा जलायी ,..

जब-जब तुम बारिश में भीगी,. 

और तब भी जब भीग न पायी .,,याद तुम्हे भी मेरी आयी ,.

जब-जब तुमको माँ ने डाँटा,. 

और तब भी जब आँख भर आयी .,

जब-जब तुम उलझन में थी.,

और जब भी  तुमको नींद न आयी .,

सुबह भी आयी,. शाम भी आयी,. 

जब-जब तुमने चाय बनायी,. 

याद तुम्हें भी मेरी आयी ,.याद तुम्हे भी मेरी आयी,… 

सारे जग से बात छुपायी,,पर खुद को फुसला न पायी 

तुम भी मझे भूल न पायी,,..

 पता तुम्हें उस खत से मिला,

जो गंगा में तुम बहा न पायी,

और फिर ये चिट्ठी भिजवायी ,…

… 

.... .... आज पुरे सताईस बरस हो गए तुम्हें मेरे पास से गए हुए,,

……………अभी  मैंने फिर चाय बनायी थी,सोचा था.…,तुम्हें याद करते-करते पीयूंगा,,याद तो किया ,पर चाय फिर ठंढी हो गयी.,,,और अब चाय पीने का मन नहीं है.... क्योंकि ,तुमने खत में लिखा है,,

................ 'अपना ख्याल रखना

और ये मेरी …सातवीं चाय थी.

4 comments:

  1. Emotional, heart-touching, splendid!! :)
    Bravo, my boy!! :)

    ReplyDelete
  2. Seriously heart touching bhaiya...

    ReplyDelete
  3. दिल को छू गई... बेहतरीन.

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन भइया जी

    ReplyDelete